जिस कंपनी का हम जिक्र कर रहे हैं उसने सितंबर तिमाही में अपनी गिरवी रखी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 8.09% से 10.11% कर दिया है. यह कदम अगस्त 2024 में कंपनी की लिस्टिंग के बाद से तीसरी गिरवी प्रक्रिया है.
Ola Electric share price: अगर ओला इलेक्ट्रिक के शेयर पर दांव लगाने वाले निवेशक हैं तो ये खबर आपको जानना जरूरी है. दरअसल, ओला इलेक्ट्रिक के फाउंडर और एमडी भाविश अग्रवाल ने शेयर गिरवी हिस्सेदारी बढ़ा दी है.
भाविश अग्रवाल ने सितंबर तिमाही में कंपनी में अपनी गिरवी रखी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 8.09% से 10.11% कर दिया है. इसका मतलब है कि उन्होंने अपनी लगभग एक चौथाई हिस्सेदारी को एक अज्ञात समूह कंपनी को फंड करने के लिए गिरवी रख दिया है.
यह कदम अगस्त 2024 में ओला इलेक्ट्रिक की लिस्टिंग के बाद से अग्रवाल द्वारा की गई तीसरी गिरवी प्रक्रिया है. इस खबर के बीच बुधवार को ओला इलेक्ट्रिक के शेयर में करीब एक फीसदी तेजी आई और भाव 43.31 रुपये पर बंद हुआ. बता दें कि कंपनी की पिछले साल शेयर बाजार में लिस्टिंग हुई थी.
13.38 करोड़ शेयर गिरवी
स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, भाविश अग्रवाल ने कुल 13.38 करोड़ शेयर गिरवी रखे हैं, जो कंपनी की कुल इक्विटी का 10.11% हिस्सा है. जून तिमाही में यह आंकड़ा 10.71 करोड़ शेयर या 8.09% था.
ये अतिरिक्त शेयर आदित्य बिड़ला कैपिटल के पास एक अनाम ग्रुप कंपनी के लिए लिए गए अघोषित ऋण के बदले कोलेटरल के रूप में रखे गए हैं.
अब अग्रवाल की 30.02% हिस्सेदारी में से लगभग एक-तिहाई हिस्सा गिरवी हो चुका है. अग्रवाल ने पहले नवंबर 2024 और फरवरी 2025 में ओला इलेक्ट्रिक के शेयर गिरवी रखे थे, जब उन्होंने एक्सिस ट्रस्टी सर्विसेज, एवेंडस स्ट्रक्चर्ड क्रेडिट फंड II, एवेंडस फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड और इनक्रेड क्रेडिट ऑपर्च्युनिटीज फंड I का रुख अपने निजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वेंचर क्रुट्रिम को फंड करने के लिए किया था.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
विश्लेषकों का मानना है कि प्रमोटर द्वारा शेयर गिरवी रखना निवेशकों के लिए चेतावनी संकेत है, क्योंकि अगर उधारकर्ता भुगतान में चूक करता है तो ऋणदाता शेयरों को बेच सकते हैं, जिससे स्टॉक की कीमत पर नकारात्मक असर पड़ता है.
बता दें कि कंपनी के शेयर अगस्त 2024 में लिस्टिंग के बाद से अब तक 43% गिर चुके हैं, जबकि नवंबर 2024 में अग्रवाल द्वारा पहली बार शेयर गिरवी रखने के बाद से यह गिरावट 36% रही है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जून में शेयर 50 रुपये से नीचे आने के बाद अग्रवाल को 20 करोड़ रुपये मूल्य के अतिरिक्त कोलेटरल जमा कराने पड़े थे.






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